AMRUT Yojana 2024: अटल मिशन फॉर रेजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन की पूरी जानकारी

"AMRUT Yojana 2024" शीर्षक वाला एक पेशेवर सरकारी योजना का बैनर। पृष्ठभूमि में आधुनिक भारतीय शहर के ऊँचे भवन, हरियाली, और साफ-सुथरी सड़कें दिखाई देती हैं। बैनर में आइकॉन शामिल हैं: नल, शहर की इमारतें, बसें, पार्क, और सीवेज पाइपलाइनें। रंग थीम हरा और नीला है। एक कोने में भारत सरकार का लोगो है। लेआउट साफ-सुथरा और आधिकारिक है।


अटल मिशन फॉर रीजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (AMRUT) एक केंद्रीय शहरी विकास योजना है, जिसे जून 2015 में शुरू किया गया था। इस योजना का लक्ष्‍य 500 चुने हुए शहरों में आधारभूत शहरी बुनियादी सुविधाएँ सुदृढ़ करना है। इसकी चुनिंदा श्रेणियाँ हैं: एक लाख से अधिक आबादी वाले शहर, सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानियाँ, तथा HRIDAY (हेरिटेज सिटी) योजना के तहत चिन्हित शहर। मिशन का उद्देश्य हर घर तक नल द्वारा पानी की आपूर्ति और सीवरेज कनेक्शन सुनिश्चित करना, शहरों में हरियाली व खुला स्थान विकसित करना, तथा गैर-मोटरयुक्त परिवहन (पैदल/साइकिल) सुविधाएँ देना है। इन कदमों से नागरिकों विशेषकर महिलाओं की जीवन गुणवत्ता में सुधार होता है।


योजना का उद्देश्य

AMRUT का मुख्य उद्देश्य हर शहरी घर में स्वच्छ पानी का नल- कनेक्शन और सीवरेज कनेक्शन देना है। साथ ही, शहरों की सुविधा स्तर बढ़ाने के लिए पार्क और खुली हरित-भूखण्ड विकसित किए जाते हैं। बारिश के पानी के निस्तारण (स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज) को सुधारना, साइकिल और पैदल मार्ग जैसी स्थायी यातायात व्यवस्था बनाना भी मिशन के तहत है। इन पहलों का लक्ष्य नगरों में स्वच्छता और जीवन-स्तर में सुधार लाना है, ताकि जन स्वास्थ्य बेहतर हो सके और वातावरण शुद्ध हो।

  • जल आपूर्ति: हर घर तक नल द्वारा पानी सुनिश्चित करना।

  • सीवरेज एवं सेप्टेज प्रबंधन: नगरों में सीवरेज कनेक्शन और सेप्टेज ट्रीटमेंट का विस्तार।

  • भूसंपदा हरित विकास: पार्क, उद्यान और सार्वजनिक हरित क्षेत्र विकसित करना।

  • बाढ़ नियंत्रण: बेहतर स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम से बाढ़ नियंत्रण।

  • नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट: पैदल और साइकिल मार्ग बनाकर प्रदूषण कम करना।

इन सर्व सुविधाओं से शहरों की सुविधा मूल्य (amenity value) बढ़ती है और नागरिकों का जीवन स्तर सुधरता है।


 AMRUT Yojana Ke Components (मुख्य घटक)

घटकविवरण
पेयजल आपूर्तिहर घर तक नल से पानी पहुंचाना
सीवरेज और सेप्टेज प्रबंधनठोस और तरल अपशिष्ट का उचित प्रबंधन
हरित क्षेत्र विकासउद्यान और पार्कों का निर्माण
शहरी परिवहनसार्वजनिक परिवहन और पैदल पथ का निर्माण
शासन सुधारनगर निकायों की कार्यक्षमता बढ़ाना


प्रमुख घटक


AMRUT योजना के मुख्य घटक निम्न हैं:

  • पेयजल प्रावधान: प्रत्येक घर तक नल से पानी पहुंचाने की परियोजनाएँ।

  • सीवरेज एवं सेप्टेज प्रबंधन: नगरों के सीवरेज नेटवर्क का निर्माण और सेप्टेज ट्रीटमेंट सुविधाएँ।

  • भारी वर्षा जलनिकासी: स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज परियोजनाएँ, जिससे पानी खड़ा न हो।

  • हरित क्षेत्र विकास: सार्वजनिक पार्क, उद्यान एवं खुले हरे-भरे स्थानों का विकास।

  • गैर-मोटर यातायात: पैदल चलने व साइकिल चलाने के लिए विशेष लेन एवं सुविधाएँ।

  • शहरी सुधार और क्षमता निर्माण: नगर निकायों के वित्तीय और प्रशासनिक सुधार (जैसे दोहरी लेखा प्रणाली) तथा तकनीकी कार्यशालाएँ।

इन प्रमुख घटकों के माध्यम से मिशन शहरी बुनियादी ढांचे का पुनरुद्धार करता है। समय-समय पर केंद्र और राज्य दोनों मिलकर निधि मुहैया कराते हैं और स्थानीय निकाय इन परियोजनाओं को लागू करते हैं।


क्रियान्वयन रणनीति

AMRUT की क्रियान्वयन रणनीति में राज्यवार कार्ययोजना (State Annual Action Plan – SAAP) बनाना शामिल है। प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अपने AMRUT शहरों के लिए विस्तृत परियोजनाओं की सूची तैयार करता है, जिन्हें आवर्धन समिति (Apex Committee) द्वारा मंजूरी मिलती है। केंद्रीय योजनाओं के अनुरूप, निधि सीधे राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को जारी की जाती है और फिर वे शहरी स्थानीय निकायों को देती हैं।


मिशन के अंतर्गत निगरानी के लिए उच्च स्तरीय समिति (State High Powered Steering Committee) का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता राज्य के मुख्य सचिव करते हैं। इसके अलावा, एक राज्य-स्तरीय तकनीकी समिति (State Level Technical Committee) भी है जो सचिव (नगर विकास) की अध्यक्षता में तकनीकी सहायता प्रदान करती है। जिला स्तर पर परियोजनाओं की समीक्षा के लिए जिला-स्तरीय निगरानी समिति (District Level Review & Monitoring Committee) बनाई जाती है, जिसमें सांसद सदस्य और ज़िला कलेक्टर सह-अध्यक्ष होते हैं। इन समितियों के माध्यम से परियोजनाओं की प्रगति पर नियमित नजर रखी जाती है।


AMRUT 2.0 की शुरुआत के बाद नई रणनीतियाँ भी जुड़ी हैं। प्रत्येक राज्य को अब स्टेट वॉटर एक्शन प्लान (SWAP) तैयार करना होता है ताकि जल प्रबंधन के समग्र समाधान ढूंढ़े जा सकें। इसके अलावा, AMRUT 2.0 में सिटी वाटर बैलेंस प्लान तैयार करने, पेयजल सर्वेक्षण कराने और नवीन प्रौद्योगिकी (जैसे स्मार्ट मीटरिंग, IoT, SCADA) अपनाने की जिम्मेदारी दी गई है, जिससे परियोजनाएँ समयबद्ध और प्रभावी ढंग से लागू हों। इन निगरानी और सुधर उपायों के जरिये योजना की पारदर्शिता और क्षमता दोनों बढ़ाई जाती है।


योजना की शुरुआत और अवधि

  1. शुरुआत: जून 2015
    इसका मतलब है कि AMRUT योजना को भारत सरकार ने 2015 में लॉन्च किया था, जिसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों का पुनरुत्थान और कायाकल्प करना था।
  2. पहला चरण: 2015–2022
    इस चरण में लगभग 500 शहरों को कवर किया गया, जहाँ पर जल आपूर्ति, सीवरेज, हरित क्षेत्र और शहरी परिवहन जैसे क्षेत्रों में सुधार किया गया।

  1. AMRUT 2.0:
    यह योजना का दूसरा चरण है, जिसे 1 अक्टूबर 2021 को शुरू किया गया और यह 2025–26 तक चलेगा। इसमें पुराने लक्ष्यों को और बेहतर तरीके से लागू करने और स्मार्ट सुविधाएं जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, जैसे डिजिटल गवर्नेंस और जल जीवन मिशन के साथ एकीकरण।


पात्रता और लाभार्थी शहर (Eligible Cities)

  1. 500 से अधिक शहर – ऐसे सभी शहर जिनकी जनसंख्या 1 लाख से अधिक है, उन्हें योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है। इसका मकसद तेजी से बढ़ते शहरी इलाकों को प्राथमिकता देना है।

  2. राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सभी राजधानियाँ – जैसे दिल्ली, शिलांग (मेघालय की राजधानी), गंगटोक (सिक्किम की राजधानी) आदि। ये प्रशासनिक रूप से अहम शहर होते हैं।

  3. धार्मिक, पर्यटन और ऐतिहासिक महत्व वाले शहर – जैसे वाराणसी, अमृतसर, पुष्कर, जयपुर आदि। इन शहरों में पर्यटन के चलते आधारभूत ढांचे की ज़रूरत अधिक होती है।


 कौन हैं लाभार्थी?

  • शहरी क्षेत्र के निवासी – यह योजना खास तौर पर शहरों के लिए बनाई गई है, इसलिए ग्रामीण क्षेत्र के लोग इस योजना के दायरे में नहीं आते।

  • निम्न आय वर्ग के लोग (Low Income Groups) – जैसे झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोग या जिनके पास अभी तक शुद्ध पेयजल, सीवरेज या ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं है।

  • वे क्षेत्र जहाँ अब तक बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंची हैं – जैसे पानी की पाइपलाइन न होना, सार्वजनिक शौचालय या ग्रीन पार्क्स की कमी।


अब तक की उपलब्धियाँ

AMRUT योजना ने औद्योगिक शहरी क्षेत्रों में कई ठोस उपलब्धियाँ हासिल की हैं। दिसंबर 2022 तक कुल 5,873 परियोजनाएँ ₹82,222 करोड़ की लागत से शुरू की गईं, जिनमें से 4,676 परियोजनाएं (लागत ₹32,793 करोड़) पूरी हो चुकी थीं। इन परियोजनाओं के तहत लगभग ₹66,313 करोड़ के काम पूरे हो चुके हैं और ₹59,615 करोड़ खर्च हो चुके हैं। फलस्वरूप अब तक 134 लाख से अधिक घरों में नल कनेक्शन और 102 लाख से अधिक घरों में सीवर/सेप्टेज कनेक्शन मुहैया कराया जा चुका है।


हरित विकास में भी प्रगति रही है। उदाहरण के लिए, मिशन के तहत 2019 तक देशभर में 1,159 नए पार्क विकसित किए जा चुके थे। कुल मिलाकर लगभग 4,288 एकड़ हरित भूमि तैयार की गई है।


राज्य स्तर पर भी उल्लेखनीय उदाहरण मिलते हैं। ओडिशा के पुरी नगर ने जुलाई 2021 में देश का पहला “24x7 पीने योग्य जल” (Drink from Tap) परियोजना प्रारंभ किया, जिससे वह पूरी तरह से लगातार पेयजल आपूर्ति करने वाला पहला शहर बना। इन उपलब्धियों से स्पष्ट है कि AMRUT ने नागरिकों को बुनियादी सुविधाएँ मुहैया कराने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है.


आधिकारिक वेबसाइट और पोर्टल्स


कामवेबसाइट लिंक
आधिकारिक पोर्टलhttps://amrut.gov.in
नगरीय कार्य मंत्रालयhttps://mohua.gov.in

❓ FAQs: AMRUT Yojana se jude sawal



सरकारी लेख के लिए "AMRUT Yojana 2024" नामक एक आधुनिक बैनर डिज़ाइन जिसमें एक शहरी भारत का चित्रण किया गया है। प्रमुख आइकन: जल आपूर्ति के नल, मल-जल पाइपलाइन, शहरी इमारतें, सार्वजनिक परिवहन (बसें), और पार्क। बैकग्राउंड में एक साफ और विकसित शहर की झलक है। भारत सरकार का लोगो एक कोने में स्थित है, और पूरा डिज़ाइन नीले-हरे रंग की थीम में है।



AMRUT 2.0 क्या है?

AMRUT 2.0, AMRUT योजना का अगला चरण है, जिसे 1 अक्टूबर 2021 को शुरू किया गया। यह पाँच वर्षीय कार्यक्रम (वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक) है। AMRUT 2.0 का मुख्य लक्ष्य है ‘वाटर सिक्योर शहर’ बनाना – यानी हर शहरी घर तक कार्यशील नल कनेक्शन देना और पहले चरण के 500 शहरों में 100% सीवरेज/सेप्टेज प्रबंधन सुनिश्चित करना। इसके तहत पूरी तरह से ‘24x7 पानी’ (Drink from Tap) देने पर जोर है।


योजना का कुल अनुमानित बजट ₹2,99,000 करोड़ है, जिसमें केंद्र सरकार का हिस्सा ₹76,760 करोड़ है। इसमें से ₹22,000 करोड़ पुराने AMRUT 1.0 के अधूरे प्रोजेक्ट्स के लिए आरक्षित हैं। 2.0 में पेयजल सर्वेक्षण (Pey Jal Survekshan) और सिटी वाटर बैलेंस प्लान जैसे उपक्रम शामिल हैं, जो जल के पुनर्चक्रण, वर्षाजल संचयन व जल निकायों के संरक्षण को बढ़ावा देते हैं। इन पहलों से शहरों को लंबी अवधि में जल सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।


READ THIS- AP और TS POLYCET 2025 परिणाम: जानकारी, रैंक कार्ड और Download


इसके अतिरिक्त AMRUT 2.0 में नवाचार और सुधारों पर जोर है। स्मार्ट मीटर और SCADA जैसे तकनीकी उपाय अपनाए जा रहे हैं ताकि जल वितरण में हो रहे नुकसान (Non-Revenue Water) को कम किया जा सके। नगरीय सुधारों के अंतर्गत, जैसे कि नगर प्रशासन में दोहरी लेखा प्रणाली, संपत्ति कर सुधार, एवं उन्नत प्रबंधन प्रणाली लागू की जा रही है। कुल मिलाकर AMRUT 2.0 तकनीकी उन्नयन, जल प्रबंधन, और नागरिक सुविधाओं के निरंतर विकास के माध्यम से शहरों को भविष्य के लिए सुदृढ़ बना रहा है।


राज्य विशेष पहल


कुछ राज्य AMRUT के तहत विशेष पहलें भी कर रहे हैं। उदाहरणतः पुरी (ओडिशा) में देश की पहली 24x7 ‘पेयजल योजना’ सफलतापूर्वक लागू की गई। इसी तरह, गोवा सरकार ने AMRUT 2.0 के अंतर्गत “ड्रिंक फ्रॉम टैप” परियोजना के लिए ₹652.61 करोड़ विशेष सहायता की मांग की है, जिससे पर्यटन-प्रधान इस राज्य में निरंतर जल आपूर्ति हो सके। केंद्र ने इन मांगों पर विचार करने की बात कही है। इन पहलों से स्पष्ट है कि राज्य पर्यटन और स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर AMRUT का प्रयोग कर रहे हैं। इससे न केवल योजना की पहुँच बढ़ी है, बल्कि स्थानीय चुनौतियों के समाधान पर भी ध्यान दिया जा रहा है।


AMRUT Yojana ka Budget


 AMRUT 1.0 का बजट:

  • योजना के पहले चरण (2015–2022) के लिए भारत सरकार ने ₹50,000 करोड़ रुपये से अधिक का बजट निर्धारित किया था।

  • इस राशि का उपयोग मुख्य रूप से:

    • पेयजल व्यवस्था

    • सीवरेज सिस्टम

    • हरित क्षेत्र (ग्रीन स्पेस)

    • और ट्रांसपोर्ट के सुधार में किया गया।

AMRUT 2.0 का बजट:

  • दूसरे चरण (2021–2026) के लिए सरकार ने ₹2.87 लाख करोड़ रुपये का बहुत बड़ा बजट आवंटित किया है।

  • इसका मुख्य उद्देश्य:

    • हर घर जल योजना को बढ़ावा देना

    • डिजिटल गवर्नेंस का विस्तार

    • शहरी अवसंरचना को स्मार्ट और टिकाऊ बनाना


चुनौतियाँ और समाधान


चुनौतियाँ: AMRUT जैसी जटिल योजना को लागू करने में कई चुनौतियाँ आती हैं। अलग-अलग राज्यों में परियोजनाएँ समयबद्ध रूप से पूरा करना कठिन होता है। कई बार स्टेट वाटर एक्शन प्लान (SWAP) समय पर अप्रूव नहीं हो पाते हैं, जिससे परियोजनाएँ लटक जाती हैं। साथ ही, वित्तीय संसाधनों की कमी और बड़े बुनियादी ढांचे के दीर्घकालिक निर्माण में देरी भी समस्याएँ हैं। कुछ शहरों में तकनीकी क्षमता और प्रबंधन क्षमता का अभाव भी देखा गया है।


समाधान: इन चुनौतियों से निपटने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। प्रत्येक राज्य में उच्च स्तरीय निगरानी समिति (SHPSC) और राज्य तकनीकी समिति (SLTC) की स्थापना की गई है ताकि परियोजनाओं की नियमित समीक्षा की जा सके। जिला स्तर पर भी संसद सदस्य की अध्यक्षता में समीक्षा समितियाँ काम कर रही हैं। तकनीकी चुनौतियों के समाधान के लिए स्मार्ट मीटरिंग और IoT/SCADA- आधारित निगरानी को बढ़ावा दिया जा रहा है। उदाहरणतः गोवा ने अपने जल स्रोतों का बेहतर प्रबंधन करने हेतु स्मार्ट मीटर और IoT तकनीक का प्रस्ताव रखा है।


इसके अलावा, नगरीय सुधारों (जैसे दोहरी लेखा प्रणाली, संपत्ति कर बढ़ोतरी) को प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि नगर निकायों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके। पेयजल सर्वेक्षण जैसी पहल से शहरों की कार्यप्रणाली का मूल्यांकन होता है, जिससे प्रतिस्पर्धा के माध्यम से गुणवत्ता सुधरती है। साथ ही, अभियंताओं और प्रशासकों के लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं और सामाजिक जागरूकता बढ़ाने की कवायद जारी है। इन कदमों से योजनाओं के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ रही है, जिससे चुनौतियों पर काबू पाया जा रहा है।




निष्कर्ष

अटल मिशन (AMRUT) ने शहरों के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पानी की आपूर्ति, सीवरेज व्यवस्था, हरित क्षेत्रों का विकास और शहरी परिवहन सुधार के क्षेत्रों में अब तक कई ठोस परिणाम सामने आए हैं। AMRUT 2.0 ने इसे और आगे बढ़ाया है, जिससे शहरों को जल-सुरक्षा की ओर अग्रसर किया जा रहा है। हालांकि कार्यान्वयन में चुनौतियाँ हैं, पर निगरानी तंत्र और तकनीकी नवाचारों से समाधान खोजा जा रहा है। भविष्य में AMRUT को स्मार्ट सिटी, स्वच्छता मिशन आदि योजनाओं के साथ समन्वय कर और व्यापक बनाकर शहरी जीवन को और बेहतर बनाया जा सकता है।

विशेषता AMRUT 1.0 (2015–2020) AMRUT 2.0 (2021–2026)
आरंभ वर्ष जून 2015 अक्टूबर 2021
समयावधि पाँच वर्ष (2015-16 से 2019-20) पाँच वर्ष (2021-22 से 2025-26)
व्यापकता (शहर) 500 शहर (आबादी >1 लाख, राज्य/UT राजधानी, HRIDAY नगर) सभी वैध शहरी निकाय (लगभग 4,700+ शहर)
बजट (प्रोविजनल) केंद्रीय सहायता ₹50,000 करोड़; कुल SAAP ₹77,640 करोड़ कुल ₹2,99,000 करोड़ (केंद्रीय ₹76,760 करोड़)
मुख्य लक्ष्य शहरी बुनियादी ढांचे (पेयजल, सीवरेज, ड्रेनेज, हरित क्षेत्र, NMT) 100% कार्यशील नल कनेक्शन, 500 शहरों में पूर्ण सीवरेज, जल-नवीनीकरण, हरित क्षेत्र सहित ‘जल-सुरक्षा’
मुख्य सुधार कदम शहरी सुधार (दोहری लेखा, लोक सहभागिता) State Water Action Plan, City Water Balance Plan, Pey Jal Survekshan, तकनीकी नवाचार
प्रगति (अवस्था) ~4,676 परियोजनाएं पूरी (₹32,793 करोड़); 134 लाख+ नल कनेक्शन, 102 लाख+ सीवर कनेक्शन AMRUT 1.0 परियोजनाओं को पूरा करना जारी; 8,998 नई परियोजनाएं मंजूर (₹1,89,458 करोड़ तक); नए जल-सुरक्षा कार्यक्रम शुरू
अन्य विशेषताएँ पेयजल सर्वेक्षण, स्मार्ट मीटरिंग, जल नवीनीकरण, स्टार्टअप प्रोत्साहन


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)


  • प्रश्न: AMRUT योजना का पूर्ण नाम और उद्देश्य क्या है?

    उत्तर: AMRUT का पूरा नाम “अटल मिशन फॉर रीजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन” है। इसका उद्देश्य 500 शहरों में जल आपूर्ति, सीवरेज, हरित क्षेत्र आदि की आधारभूत सुविधाएँ विकसित करना है। मिशन के तहत हर घर में नल द्वारा पानी की आपूर्ति और सीवरेज कनेक्शन देना शामिल है।

  • प्रश्न: AMRUT की शुरुआत कब हुई थी और कितने शहर शामिल हुए?

    उत्तर: AMRUT की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2015 में की थी। यह योजना 500 शहरों पर लागू है, जिनमें एक लाख से अधिक आबादी वाले शहर, सभी राज्य/UT की राजधानियाँ और हेरिटेज शहर शामिल हैं।

  • प्रश्न: AMRUT 2.0 क्या है? इसके मुख्य लक्ष्य क्या हैं?

    उत्तर: AMRUT 2.0, AMRUT योजना का नया चरण है जो 1 अक्टूबर 2021 से जारी है। इसके लक्ष्य हैं: सभी शहरों के हर घर में कार्यशील नल कनेक्शन, पहले चरण के 500 शहरों में 100% सीवरेज/सेप्टेज प्रबंधन, और जल-संरक्षण पर जोर। इसमें ‘पीने योग्य जल’ (24x7 Drink from Tap) कवरेज बढ़ाना और जल नवीनीकरण को बढ़ावा देना प्रमुख है।

  • प्रश्न: AMRUT योजना का बजट कितना है?

    उत्तर: AMRUT 1.0 के लिए केंद्रीय अनुदान ₹50,000 करोड़ (कुल योजना बजट ₹77,640 करोड़) निर्धारित किया गया था। AMRUT 2.0 के लिए कुल अनुमानित बजट ₹2,99,000 करोड़ है, जिसमें केंद्र सरकार का हिस्सा ₹76,760 करोड़ है।

  • प्रश्न: AMRUT के अंतर्गत अब तक क्या उपलब्धियाँ मिली हैं?

    उत्तर: अब तक AMRUT के तहत हजारों परियोजनाएँ पूरी की गई हैं। 2022 तक 4,676 परियोजनाएं (₹32,793 करोड़) सम्पन्न हो चुकी थीं, और कुल 134 लाख+ घरों में नल कनेक्शन तथा 102 लाख+ घरों में सीवरेज कनेक्शन दिए जा चुके थे। शहरों में खुले हरित क्षेत्रों और पार्कों का विकास भी हुआ है (जैसे 2019 तक 1,159 नए पार्क)। ये आंकड़े मिशन की प्रगति दिखाते हैं।

  • प्रश्न: AMRUT योजना में किसे लाभ मिलता है?
    उत्तर: AMRUT से प्रत्यक्ष लाभ शहरी क्षेत्र के नागरिकों को होता है। हर घर को साफ पानी और सीवरेज की सुविधा मिलने से जनता के स्वास्थ्य में सुधार होता है, विशेषकर महिलाओं और बच्चों को फायदा होता है। इसके अलावा, बढ़ती हरियाली और बेहतर स्टॉर्म ड्रेनेज से पूरे समाज का जीवनस्तर बेहतर होता है।

  • प्रश्न: राज्य/स्थानीय स्तर पर AMRUT के लिए क्या जिम्मेदारी है?

    उत्तर: केंद्र राज्य सरकारों के साथ सहयोग करके योजना चलाता है। राज्यों को अपनी वार्षिक क्रियान्वयन योजना (SAAP) तैयार करनी होती है और केंद्रीय योजनाकारों की मंजूरी के बाद कार्य संचालित करते हैं। राज्य हाई-लेवल कमेटी (SHPSC) और स्थानीय निकायों के माध्यम से कार्य की मॉनिटरिंग भी की जाती है। इस तरह राज्यों की भूमिका योजनाओं की चयन और क्रियान्वयन में अहम होती है।

  • प्रश्न: AMRUT और स्मार्ट सिटी मिशन में क्या अंतर है?

    उत्तर: दोनों ही शहरी योजनाएँ हैं लेकिन फोकस अलग है। AMRUT मुख्य रूप से पानी, सीवरेज, ड्रेनेज और हरियाली जैसी बुनियादी सुविधाओं पर केंद्रित है। वहीं स्मार्ट सिटी मिशन शहरों के संपूर्ण विकास, डिजिटल सेवाएँ और स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर (जैसे इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट, wi-fi ज़ोन, ई-गवर्नेंस) पर बल देता है।

  • प्रश्न: AMRUT योजना की निगरानी कौन करता है?

    उत्तर: AMRUT की निगरानी के लिए केन्द्र और राज्य स्तर पर समिति बनाई गई है। केंद्रीय आवर्धन समिति (Apex Committee) योजना की समीक्षा करती है, जबकि हर राज्य में उच्च स्तरीय steering committee (मुख्य सचिव की अध्यक्षता में) और तकनीकी समिति काम करती हैं। स्थानीय स्तर पर सांसदों की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समीक्षा समितियाँ भी कार्यरत हैं। इन ढांचों से योजना की प्रगति पर नियमित दृष्टि रखी जाती है।


स्रोत: प्रस्तुत लेख के तथ्य विभिन्न आधिकारिक दस्तावेज़ों तथा सरकारी प्रकाशनों पर आधारित हैं, जिनमें प्रधानमंत्री कार्यालय एवं आवास तथा शहरी मामलों मंत्रालय की रिपोर्टें शामिल हैं।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!